Question 3: व्याख्या कीजिए :
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है।
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा हैं!
उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि यहाँ चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार- अमावस्या में नहाने की बात क्यों की गई है ?
Answer:
कवि ने प्रियतमा की आभा से प्रेम के सुखद भावो से सदेव घिरे रहने की स्थिति को उजाले के रूप में चितित किया जा रहा है इन स्मतियो से रे घिरे रहेना आनंददायी होते हुए भी कवि के लिए असहनीय बन गया है क्योकि इस आनंद से वाचित हो जाने का भय भी उसे सदेव सताता है तथा कवि प्रिय के प्रेम से खुद को मुक्त कर आत्मनिभर बन कर अपने व्यक्तित्व का विकास करना सिखा रहा है इसलिए कवि चाँद कि तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अधकार – अमावस्या में नहाने की हमेशा बात करते है I
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