Question 6: ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में बाज़ार जाने या न जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का जिक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।
- मन खाली हो
- मन खाली न हो
- मन बंद हो
- मन में नकार हो
Answer:
1. मन खाली हो – जब में केवल यूही घूमने की घूमने के लिए बाज़ार जाती तो न चाहते हुए भी कई सारी महंगी चीज़े घर ले जाते हु और बाद में पता चलता है कि इन वस्तुओं की कीमत तो बहुत कम है और में केवल उनके आकर्षण में फसकर इन्हें खरीद लाई I
2. मन खाली न हो – एक बार मुझे बाज़ार से एक लाल रंग की साडी खरीदनी थी तो में सीधे साडी वाले काउटर पर पहुची उस दुकान पर पहुची उस दुकान में अन्य कही तरह के परिधान मुझे आकर्षित कर रहे थे परन्तु मेरा विचार पक्का होने के कारण में सीधे साड़ी वाले काउटर पर पहुची और अपनी मनपसन्द साड़ी खरीदकर बहार आ गई I
3. मन बंद हो – कभी कभी जब मन बड़ा उदास हो जाता है तब बाज़ार की रंग बिरगी वस्तुए भी मुझे आकर्षित नहीं करते है में बिना कुछ लिए यूही घर चली आती हु I
4. मन में नकार हो – एक बार मेरे पडोसी ने मुझे चाइनीज वस्तुओ के बारे में कुछ इस तरह समझाया कि मेरे मन में उन वस्तुओं के प्रति एक प्रकार नकारत्मकता आ गई मुझे बाज़ार में उपलब्ध सभी चाइनीज वस्तुओ में कोई न कोई कमी दिखाई देने लगी मुझे लगा जेसे ये सारी वस्तुए अपने मापदड़ो पर खरा नहीं है I
Add Comment