A:
(1) सुधा को पाँच वर्ष की अल्पायु में ही मुंबई के प्रसिद्ध न्रत्य विधलाय कला सदन में प्रवेश दिलवाया गया सुधा की प्रतिभा देखकर सुप्रसिद्ध नत्य शिक्षक श्री के . एस रामास्वामी ने उसे शिष्या के रूप में स्वीकार कर लिया और सुधा उनसे नियमित प्रशिश्रण प्राप्त करने लगी I
(2) डॉ सेठी ने सुधा को आश्वस्त किया कि वह दुबारा सामान्य ढंग से चल सकेगी इस पर सुधा ने पुछा क्या में नाच सकूगी डॉ सेठी ने कहा क्यों नही प्रयास करो तो सब कुछ सभव है डॉ सेठी ने सुधा के लिए एक विशेष प्रकार की टांग बनाई जो अल्यूमीनियम की थी और इसमें ऐसी व्यवस्था थी कि वह टांग को आसानी से घुमा सकती थी I
(3) 28 जनवरी 1984 को मुंबई के साउथ इंडिया वेलफेयर सोसायटी के हाल में एक नर्त्यागना प्रीति के साथ सुधा ने दुबारा नाच के सार्वजनिक प्रदर्शन का आमत्रण स्वीकार कर लिया यह दिन सुधा जिंदगी का सभवत सबसे कठिन दिन था उस दिन से भी ज्यादा जबकि उसका पाँव काट दिया गया था I