Question 2

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) जाकी अँग-अँग बास समानी
(ख) जैसे चितवत चंद चकोरा
(ग) जाकी जोति बरै दिन राती
(घ) ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
(ङ) नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै

Answer

(क) जिस प्रकार चंदन का लेप लगाने पर सारे अंग सुगधित हो जाते थे ठीक उसी प्रकार ईश्वर की भक्ति पूरे शरीर में समाकर शरीर और मन दोनों को ही पवित्र कर देती थी I                                                                
(ख) जिस प्रकार चकोर पक्षी रात भर चंदमा की और टकटकी लगाए देखता रहता था और सुबह होने की प्रतीक्षा करता था ठीक उसी प्रकार भक्त एकटक इश्वर की भक्ति में लीन रहता था I         
(ग) कवि प्रभु के प्रति अपनी भक्ति को दीए और बाती की तरह देखता था उसका कहना था 
कि जिस प्रकार दिए की बाती जलाकर प्रकाशित करती थी ठीक उसी प्रकार आपकी भक्ति रूपी दिया दिन रात जलकर मुझे अंदर से प्रकाशित करता रहता था I                                                           
(घ) कवि प्रभु का आभार प्रकट करते हुए कह रहा था कि आप ही है जो इतनी उदारता दिखा सकते थे आप निडर होकर सभी का कल्याण करने वाले थे I                                                    
(ड) कवि का कहना था कि मेरे प्रभु समाज में नीच समझे जाने वाले लोगो को ऊँचा करने वाले अथार्त समाज में सम्मान दिलाने वाले थे ओए ऐसा करते समय वह किसी से भी नही डरने वाले थे I

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