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Q1 फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी? Ans: फादर बुल्के मानवीय करुणा से ओतप्रोत विशाल ह्रदय वाले और सभी के कल्याण की भावना रखने वाले महान व्यक्ति है देवदार का वक्ष्र आकर में लम्बा चोडा होता था फादर बुल्के का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही था I
Q2 फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है? Ans: फादर बुल्के पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर चुके है वे भारत को ही अपना देश मानते हुए यही की संस्कृति में रच बस गए है वे हिंदी के प्रकाड विद्वान है एव हिंदी के उत्थान के लिए सदेव तत्पर रहते है उनका पूरा जीवन भारत तथा हिंदी भाषा पर समर्पित है I
Q3 पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है? Ans: फादर बुल्के के हिंदी प्रेम का सबसेबडा प्रमाण यह था कि उन्होंने सबसे प्रमाणिक अग्रेजी हिंदी कोश तैयार किया था भारत उन्होंने कलकता से हिंदी में बी.ए. तथा इलाहाबाद से एम.ए. किया था उन्होंने
रामकथा उत्पति और विकास पर पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की है IQ4 इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए। Ans: फादर कामिल बुल्के का व्यक्तित्व सात्विक तथा आत्मीय है ईश्वर के प्रति उनकी गहरी आस्था है वे ईसाईं पादरी होने के कारण हमेशा एक सफेद चोगा धारण करते है गोरा रंग सफेद झाई मारती भूरी दाढ़ी नीली आँखे है हमेशा एक मद मुस्कान उनके चेहरे पर झलकती है
Q5 लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है? Ans: फादर बुल्के मानवीय करुणा की प्रतिमूर्ति है उनके मन में सभी के लिए प्रेम भरा है जो कि उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देता है वे लोगो को अपने आशीषो से भर देता है उनकी आँखों की चमक में असीम वात्सल्य तेरता रहता है उसके कष्ट दूर करने के लिए वे यशाशक्ति प्रयास करते है I
Q6 फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है, कैसे? Ans: सन्यासी की परपरागत छवि ऐसी है कि वह घर संसार से विरक्त होकर भगवान के भजन में लगा रहता था उसे सांसारिक वस्तुओ व् लोगो के प्रति कोई अनुराग नही था वह समाज से अलग विरक्त रहता था परन्तु सन्यासी जीवन के परपरागत गुणों से अलग भी फादर बुल्के की भूमिका रहती थी I
Q7 आशय स्पष्ट कीजिए (क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है। (ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है। Ans: (क) फादर कामिल बुल्के की म्रत्यु पर उनके मित्र परिचित और सहितिय्क मित्र इतनी अधिक सख्या में रोए कि उनको गिनना कठिन था उस समय रोने वालो की सूची तैयार करना कठिन हैI
(ख) हम फादर कामिल को याद करते थे तो उनका करुणा पूण और शांत व्यक्तित्व सामने आ जाता था फादर को याद करने से दुःख होता था और यह दुःख एक उदास शांत संगीत की तरह ह्रदय पर एक अमिट छाप छोड़ जाता था I