Question 6

चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?

Answer

1. पूर्णिमा की रात में धरती और आकाश में चादंनी की आभा इस तरह फेली थी जेसे स्फटिक नामक शिला से निकलने वाली दुधिया रोशनी संसार रुपी मंदिर पर ज्योतित होती थी I                   
2. देव की नजरे जहां तक जाती थी उन्हें वहां तक बस चादनी ही चादनी नज़र आती थी यू प्रतीत होता था मानो धरती पर दही का समुद्र हिलोरे ले रहा था I                                                            
3. कवि देव जब चादनी रात में आकाश को निहारते है तो उन्हें ऐसा
भ्रम होता ठ मानों आकाश के सारे तारे नायिका का वेश धारण कर अपनी सुन्दरता की आभा को समस्त आकाश में बिखरे रहते थे I

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