Question 6

ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए…अब बूझो!’-इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?

Answer

लोग सकट की घड़ी में एक दूसरे की सहायता करने के बजाए अपनी निजी स्वार्थो की सिद्धी को
अदिक महत्त्व देते थे अपने सुख सुविधाओ को छोड़कर किसी संकटग्रस्त व्यक्ति या व्यक्तियों का हाल चाल जानने का भी कष्ट नही करते थे I

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