अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए
द्वारका से लोटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आँए तो अपनी झोपडी के स्थान पर बड़े बड़े भव्य महलो को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया था कि कही में घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नही चला आया था I
लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई हैआप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
“मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।”
• लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
“इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता हैआप उसी से पूछ लीजिएमैं नहीं बताऊँगा।” बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही? लिखिए
मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते, उसमें दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है। पर, जब सिनेमा बोलने लगा उनमें अनेक परिर्वतन हुए। उन परिवर्तनों को अभिनेता, दर्शक और कुछ तकनीकी दृष्टि से पाठ का आधार लेकर खोजें, साथ ही अपनी कल्पना का भी सहयोग लें।
क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित हैउसे अपने शब्दों में लिखिए
हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।
“ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।”
• लेखक को ऐसा क्यों लगा?
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
“लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।’
“अजी इसी सप्ताह में ले लेना।”
“सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?”
झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से क्या पता चलता है? लिखिए
साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता थाफिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?
आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?
चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए
लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई हैआप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों
फातिमा ने कहा, “… मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकें।” साइकिल चलाने से फ़ातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को आज़ादी’ अनुभव क्यों होता होगा?
“… उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं…” आपके विचार से लेखक जंजीरों द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?
दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?