Question 1

“अरे इन दोहून रह न पायी” साईं कवि  का क्या आशय  है?

Answer

अरे इन दोहून राह न पाई में कबीर हिन्दू और मुसलमान धर्म व्यग करते थे वे दोनों में से किसी भी धर्म के बारे में कहते थे हिन्दू धर्म को मानने वाले खुद को बहुत श्रेष्ठ समझते थे और किसी नीची जाति वाले को अपने घड़े का पानी तक नही पिन  नही देते थे वे वैश्या को अपशगुन मानते थे
उसका सम्मान नही करते थे और मदिरा पान करके उसके चरणों में लेटे रहते थे I

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