भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा को अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
बालगोबिन भगत का व्यक्तिव : भगतजी ग्रहस्थ होते हुए भी वास्तव में सन्यासी है उनका आचार व्यवहार इतना पवित्र और आदर्शपूण है कि वे परिवार के होते हुए भी वास्तव में सन्यासी है वे अपने किसी काम के लिए दूसरो को कष्ट नही देना चाहते है वे कभी झूठ नही बोलते है बिना अनुमति के किसी भी वस्तु के हाथ नही लगाते है बालगोबिन भगत की वेशभूषा: बालगाबिन भगत मझोले कद के गारेचिटे आदमी है साठ से ऊपर के ही थे बाल पक गए है किंतु उनका सफेद चेहरा सफेद बालो से ही जगमग किए रहता था कपड़े बिलकुल कम पहनते थे जब जाडा आता एक काली कमली ऊपर से ओढे रहते थे I
पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह झंकृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?
कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों?
बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसा मत दिखाई देना?
संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
भाव स्पष्ट कीजिए
(क)बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥ पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन पूँकि पहारू।
(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।। देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
(ग) गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ। अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ ।।
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) ‘फटा सुर न बख्। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।
(ख) ‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।’
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।