Question 3

जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई। सब घटि अंतरि तूंही व्यापक धरै सरूपै सोई॥ इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?

Answer

कबीर की ससार में ईश्वर का स्वरूप अविनाशी था कबीर दास के कहने का तात्पर्य यह था कि जिस प्रकार लकड़ी में अग्नि निवास करती थी ठीक उसी प्रकार परमात्मा सभी जीवो में ह्र्दय में आत्मा स्वरूप में व्याप्त था ईश्वर सर्वयापक , अजर अमर और अविनाशी थे I

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