Question 2

भाव व शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(क) अंसुवन जल सींचि-सचि, प्रेम-बेलि बोयी अब त बेलि फैलि गई, आणंद-फल होयी
(ख) दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी

Answer

(क) भाव सोंदर्य – इस पद में मीरा की भक्ति अपनी चरम सीमा पर था मीरा ने अपने आसुओ के जल से सीचकर कृष्ण रुपी प्रेम की बेल बोई थे और अब उस प्रेमरूपी बेल में फल आने शुरू होते थे I शिल्प सोंदर्य – भाषा मधुर संगीतमय और राजस्थान मिश्रीत भाषा थी सीची सीची में पुनरुक्ति प्रकाश अलकार थे I अलकार का बड़ी ही कुशलता से प्रयोग किया था I                       
(ख) भाव सोंदर्य – इस पद में मीरा ने भक्ति की महिमा को बड़े ही सुन्दर ढग से प्रस्तुत किया था इस पद में भक्ति को महत्वपूर्ण तथा सासारिक सुख को छाछ के समान असार माना जाता था इन काव्य पक्तियों में मीरा संसार के सार तत्व को ग्रहण करते थे और व्यर्थ की बातो को छोड़ देने के लिए कहा था I

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