Question 10

पेट ही को पचत, बेचते बेटा-बेटकी’ तुलसी के युग का ही नहीं आज के युग का भी सत्य है। भुखमरी में किसानों की आत्महत्या और संतानों (खासकर बेटियों) को भी बेच डालने की हृदयविदारक घटनाएँ हमारे देश में घटती रही हैं। वर्तमान परिस्थितियों और तुलसी के युग की तुलना करें। 

Answer

तुलसीदास के समय में बेरोजगारी के कारण अपनी भूख मिटाने के लिए सभी अनेतिक कार्य कर रहे थे I अपने पेट की भूख मिटाने के लिए लोग अपनी सतान तक को बेच रहे थे I वे कहते है कि पेट भरने के लिए मनुष्य कोई भी पाप कर सकता है I

Popular Questions of Class 12 Hindi - Aroh

Recently Viewed Questions of Class 12 Hindi - Aroh

Write a Comment: