Question 3

विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी स्थितियों में अविचल रहकर जिजीविषु बने रहने की सीख दी है। स्पष्ट करें।

Answer

जब पृथ्वी अग्री के समान तप रही थी तब भी शिरीष का पेड़ कोमल फूलो से लदा लहलहाता
था बाहरी गरमी धूप, वर्षा आधी आधी लू उसे प्रभावित नहीं थी इतना ही नहीं वह लबे समय तक खिलाता था इसी तरह जीवन में किसी भी प्रकार की कठनाई क्यों न उत्पन्न हो जाए मनुष्य को शांत भाव से उस पर जीत हासिल करने का प्रयास करता है I

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