पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों ?
कविता में प्रकति का मानवीय किया जाता है I मुझे बादलो का गर्जन कर क्रांति लानेवाले रूप पसंद करता है क्योकि जिस प्रकार बादलो की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े बड़े पर्वत, वृक्ष घबरा जाते है उनको उखडकर गिर जाने का भय रहता है उसी प्रकार क्रांति की हुकार से पूजीपति घबरा उठते है वे दिल थाम कर रह जाते है उन्हे अपनी सपति एव सता के छिन जाने का भय रहता है I
.......ऐ विप्लव बादल
बार – बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार
हर्दय थाम लेता ससार
सुन सुन घोर व्रज हुकार I
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते ‘ पंक्ति में ‘ विप्लव-रव ‘ से क्या तात्पर्य है ? ‘ छोटे ही है हैं शोभा पाते ‘ एसा क्यों कहा गया है ?
व्याख्या कीजिए-
(क) तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
(ख) अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,
‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में ‘दुख की छाया’ किसे कहा गया हैं और क्यों?
कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है ? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए ।
‘अशानि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर ‘ पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया है ?
बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती हैं?’
इस कविता में बादल के लिए ‘ ऐ विप्लव के वीर!, ‘ ऐ जीवन के पारावार’ जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। ‘ बादल राग‘ कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधानें का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- ‘अरे वर्ष के हर्ष !’, मेरे पागल बादल !, ऐ निर्बंध !, ऐ स्वच्छंद! , ऐ उद्दाम! , ऐ सम्राट! ,ऐ विप्लव के प्लावन! , ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य हैं?
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