Question 2

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

1. बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।

2. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?

3. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?

4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?

5. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?

6. बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?

7. बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-

  1. छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
  2. भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
  3. भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
  4. भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।

Answer

1. मेरे अनुसार बड़े भाई की डांट फटकार का ही अप्रत्यक्ष परिणाम है कि छोटा भाई कक्षा में अव्वल आया था क्योकि छोटे भाई के उस पर अंकुश रखने के कारण वह दो घंटा पढाई करते है I

2. में लेखक के शिक्षा पर किए व्यग पर पूरी तरह सहमत था पाठ में बच्चो की व्यवाहरिक शिक्षा को पूरी तरह नज़र अदाज किया था जो कि सर्वाधिक अनुचित था परीक्षा प्रणाली में आकड़ो को महत्त्व दिया गया था I 

3. बड़े भाई के अनुसार जीवन की समझ ज्ञान के साथ अनुभव और व्यावहारिकता से आती थी पुस्तकीय ज्ञान को अनुभव में उत्तारने पर ही हम सही जीवन जी सकते थे हमारे बड़े बुजुर्गो ने भले कोई किताबी ज्ञान नही प्राप्त नही किया है I



4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के लिए श्रध्दा उत्पन्न हुई थी जब उसे पता चला उसके बड़े भाई साहब उसे सही राह दिखाने के लिए अपनी कितनी ही इच्छाओ का दमन करते है I

5. – बड़े भाई साहब परिक्षमी विद्यार्थी है एक ही कक्षा में तीन बार फेल हो जाने के बाद भी पढाई से उन्होंने अपना नाता नही तोडा था I- वे गभीर सयमी किस्म का व्यक्तित्व रखते है अथार्त हर समय अपने छोटे भाई के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए खेल कूद से दूर और अध्ययनशील बने रहते थे I

6. बड़े भाई साहब जिंदगी के अनुभव को किताबी ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण समझते है उनके अनुसार किताबी ज्ञान तो कोई भी प्राप्त होता था कि हमने कितने जीवन मूल्यों को समझा था अत हमारा अनुभव विशाल होगा उतना ही हमारा जीवन सुन्दर और सरल होता I

7. 1. फिर भी में भसी साहब का अदब करता हू और उनकी नजर बचाकर कनकोए उड़ता है मंझा देना कन्ने बांधना पतंग टूनामेंट की तैयारियाँ आदि सब गुप्त रूप से हल हो जाता था I
2. में तुमसे पाँच साल बड़ा था और हमेशा रहूँगा मुझे जिंदगी का जो तजुर्बा था तुम उसकी बराबरी नही कर सकते थे I
3. सयोग से उसी वक्त कटा हुआ था उसकी डोर लटक रही है लडको का गोल पीछे पीछे दोडा चला आता है I भाई साहब लंबे थे I

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