Question 2: (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
2. जुलूस के लालबजार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?
3. जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
4. बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
Answer:
1. सुभाष बाबू के जूलूस में स्त्री सम्माज की विशेष और बढ़ा और अहम भूमिका रहती थी स्त्रियों ने अपने अपने तरीको से जुलूस निकला था जानकी देवी ने मदालसा बजाज जेसी स्त्रियो ने जुलूसका सफल नेतत्व किया था I
2. जुलूस से लाल बाज़ार पहुचते ही पुलिस ने जुलूस में लाठिया बरसाने शुरू कर दिया था सुभाष बाबू को पकड़कर जेल भेज दिया जाता था मदालसा बजाज भी पुलिस द्वारा पकड़ लिया था I
3. यहाँ पर पुलिस कमिश्नर के द्वारा कानून को भंग करने की बात करते थे इस कानून के अनुसार किसी भी प्रकार की सभा का आयोजित करता या उसमे भाग लेने की मनाही करता है\ मेरे विचार से यह सब कानून भंग करना अति आवश्यक होता है I
4.मेरे अनुसार यह दिन अपूर्व इसलिए है क्योकि इससे पहले कलकता में इतने बड़े स्तर पर जुलूस नही निकाला होता है और न ही इस प्रकार से सरकार को खुली चुनोती देता है स्त्रियों के इतनी बड़ी सख्या में भाग लेना था और अपनी गिरपतारी देना भी इस दिन का अपूर्व बनाता था I
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