Chapter 13 Ramnaresh Tripathi

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Exercise 1 ( Page No. : 143 )

  • Q1 पथिक का मन कहाँ विचरना चाहता है?
    Ans:

    पथिक का मन बादलों पर बैठकर नील गगन और लहरों पर बैठकर समुद्र का कोना कोना विचरना चाहता था I


    Q2 सूर्योदय वर्णन के लिए किस तरह के बिंबों का प्रयोग हुआ है?  
    Ans:

    सूर्यादय वर्णन के लिए निम्न तरह के बिबो का प्रयोग हुआ –
    1. समुद्र में फेली लाली मानो लक्ष्मी का मंदिर था I                                                                   
    2. एक अन्य बिब में वह सूर्य की रश्मियों से बनी चोडी उजली रेखा मानो लक्ष्मी के स्वागत के लिए बनाई गई सुनहरी सड़क होती थी I

    3. समुद्र तल से उगते हुए सूर्य का अधूरा बिब अपनी प्रात : कालीन आभा के कारण बहुत ही मनोहर दिखाई देता था और उससे देखकर ऐसा महसूस होता था I


    Q3 आशय स्पष्ट करें- (क) सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है। तट पर खड़ा गगन-गगा के मधुर गीत गाता है। (ख) कैसी मधुर मनोहर उज्ज्वल हैं यह प्रेम कहानी। जी में हैं अक्षर बन इसके बनूँ विश्व की बानी।  
    Ans:

    (क) प्रस्तुत पक्तियों के द्वारा कवि ने रात्रि सोदर्य का वर्णन किया था कवि कहते है कि जब रात को अधेरा छाने के बाद आकाश में तारे सज होते थे तब संसार का स्वामी मुस्कुराते हुए धीमी गति से आता था I                                                                                                               
    (ख) प्रस्तुत पक्ति का आशय प्रकति सोदर्य की प्रेम कहानी से होती थीकवि के कहने का तात्पर्य यह है कि समुद्र तट पर संसार में द्रश्य इतने मनोहारी होते थे जेसे प्रेम कहानी चल रही थी और कवि इस कहानी को अपने शब्दों में व्यक्त करना चाह रहा था I


    Q4 कविता में कई स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। ऐसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखें।      
    Ans:

    कविता में कवि ने अनेक स्थलों में संसार का मानवीकरण किया था जो निम्नलिखित थे
    1. प्रतिश्रण नूतन वेश बनाकर रंग बिरग निराला I रवि के सम्मुख थिरक थी नभ में वारिद माला I भाव – प्रस्तुत पक्तियों में कवि ने बादलो को रंग बिरगी नर्तकी के रूप में सूर्य के सामने न्रत्य करते हुए दर्शाया था I                                                                                                              
    2. रत्नाकर गर्जन करता था I भाव – प्रस्तुत पंक्तियों में समुद्र को किसी वीर की भाति गर्जन करते हुए दर्शया गया था I                                                                                                  
    3. लाने को निज पुण्य भूमि पर लक्ष्मी की असवारी I रत्नाकर से निर्मित कर दी स्वर्ण सडक अति प्यारी I भाव प्रस्तुत पक्तियो में सूर्य की रश्मियों से बनी चोडी उजली रेखा को मानो लक्ष्मी के स्वागत के लिए बनाई गई सुनहरी सडक के रूप में दर्शया गया था I                                     
    4. ससिम्त वदन जगत का स्वामी म्रदु गति से आता था I तट पर खड़ा गगन गंगा के मधुर गीत गाता था I


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