साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को क्या बताया?
साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को बताया था वह उसके खेतो की रक्षा करता था बाद में दोनों फसल को आधा आधा बाँट लेते थे उसने बताया था उसके साथ साझा खेती करने का यह फायदा था कि जंगल के छोटे जानवरों से उसका खेत सुरक्षित रहता था I
'दीप अकेला' के प्रतीकार्थ को स्पष्ट करते हुए बताइए कि उसे कवि ने स्नेह भरा, गर्व भरा एवं मदमाता क्यों कहा है?
"बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं" कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे
मदिर ऊँघते रहते सब-जगकर रजनी भर तारा।
'कुटज' पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि 'दुख और सुख तो मन के विकल्प हैं।'
बालक द्वारा इनाम में लड्डू माँगने पर लेखक ने सुख की साँस क्यों भरी?
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) श्रमित स्वप्न की मधुमाया ......... तान उठाई।
(ख) लौटा लो .......................... लाज गँवाई।
कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है?
संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) झूठी बतियानि की पत्यानि तें उदास है, कै ...... चाहत चलन ये संदेशो लै सुजान को।
(ख) जान घनआनंद यों मोहिं तुम्है पैज परी ....... कबहूँ तौ मेरियै पुकार कान खोलि है।
(ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, .................बिललात महा दुःख दोष भरे।
(घ) ऐसो हियो हित पत्र पवित्र ..... टूक कियौ पर बाँचि न देख्यौ।
सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) 'कभी-कभी जो लोग ऊपर से बेहया दिखते हैं, उनकी जड़ें काफ़ी गहरी पैठी रहती हैं। ये भी पाषाण की छाती फाड़कर न जाने किस अतर गह्वर से अपना भोग्य खींच लाते हैं।'
(ख) 'रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज-सत्य। नाम उस पद को कहते हैं जिस पर समाज की मुहर लगी होती है। आधुनिक शिक्षित लोग जिसे 'सोशल सैक्शन' कहा करते हैं। मेरा मन नाम के लिए व्याकुल है, समाज द्वारा स्वीकृत, इतिहास द्वारा प्रमाणित, समष्टि-मानव की चित्त-गंगा में स्नात!'
(ग) 'रूप की तो बात ही क्या है! बलिहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कुपित यमराज के दारुण निःश्वास के समान धधकती लू में यह हरा भी है और भरा भी है, दुर्जन के चित्त से भी अधिक कठोर पाषाण की कारा में रुद्ध अज्ञात जलस्रोत से बरबस रस खींचकर सरस बना हुआ है।'
(घ) हृदयेनापराजितः! कितना विशाल वह हृदय होगा जो सुख से, दुख से, प्रिय से, अप्रिय से विचलति न होता होगा! कुटज को देखकर रोमांच हो आता है। कहाँ से मिलती है यह अकुतोभया वृत्ति, अपराजित स्वभाव, अविचल जीवन दृष्टि!'
राजा ने जनता को हुक्म क्यों दिया कि सब लोग अपनी आँखें बंद कर लें?
हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है?
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य लिखिए-
(क) कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है।
(ख) अतीत का समूचा मिथक संसार पोथियों में नहीं, इन रिश्तों की अदृश्य लिपि में मौजूद रहता था।
प्रसाद शब्दों के सटीक प्रयोग से भावाभिव्यक्ति को मार्मिक बनाने में कैसे कुशल हैं? कविता से उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए।
कवि ने लोगों के आत्मनिर्भर, मालामाल और गतिशील होने के लिए किन तरीकों की ओर संकेत किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
लेखक का हिंदी-साहित्य के प्रति झुकाव किस प्रकार बढ़ता गया?
प्रस्तुत कविता दुख और निराशा से लड़ने की शक्ति देती है? स्पष्ट कीजिए।
निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए-
(क) आधुनिक शरणार्थी
(ख) औद्योगीकरण की अनिवार्यता
(ग) प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच आपसी संबंध
''अपना सोना खोटा तो परखवैया का कौन दोस?'' से लेखक का क्या तात्पर्य है?
'महीं सकल अनरथ कर मूला' पंक्ति द्वारा भरत के विचारों-भावों का स्पष्टीकरण कीजिए।