बनारस में धीरे-धीरे क्या होता है? 'धीरे-धीरे' से कवि इस शहर के बारे में क्या कहना चाहता है?
कवि के अनुसार बनारस शहर में धूल धीरे धीरे उडती थी यहाँ लोग धीरे धीरे चलते थे धीरे धीरे ही यहाँ मंदिरों में घटे बजते थे तथा शाम भी यहाँ धीरे धीरे होती थी कवि के अनुसार यहाँ सभी कार्य धीरे धीरे धीरे होना इस शहर की विशेषता थी यह शहर को सामूहिक लय प्रदान करता था धीरे धीरे शब्दों द्वारा कवि बनारस में हो रहे बदलावों को दर्शाता था उसके अनुसार सारी दुनिया में तेज़ी से बदलाव हो रहे थे I
बनारस में वसंत का आगमन कैसे होता है और उसका क्या प्रभाव इस शहर पर पड़ता है?
धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय में क्या-क्या बँधा है?
'खाली कटोरों में वसंत का उतरना' से क्या आशय है?
बनारस शहर के लिए जो मानवीय क्रियाएँ इस कविता में आई हैं, उनका व्यंजनार्थ स्पष्ट कीजिए।
शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) 'यह धीरे-धीरे होना ............. समूचे शहर को'
(ख) 'अगर ध्यान से देखो .............. और आधा नहीं है'
(ग) 'अपनी एक टाँग पर ................ बेखबर'
बनारस की पूर्णता और रिक्तता को कवि ने किस प्रकार दिखाया है ?
बच्चे का उधर-उधर कहना क्या प्रकट करता है?
'सई साँझ' में घुसने पर बनारस की किन-किन विशेषताओं का पता चलता है?
'मैं स्वीकार करूँ, मैंने पहली बार जाना हिमालय किधर है'- प्रस्तुत पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
'हारेंहु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?
अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी (नागमती) की व्यथा-कथा का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
प्रियतमा के दुख के क्या कारण हैं?
देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता?
कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो ले सुजान को' क्यों कहा है?
लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
संवदिया कि क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा हैं?
लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है?
कवि ने किस प्रकार की पुकार से 'कान खोलि है' की बात कही है?
पाठ की शैली की रोचकता पर टिप्पणी कीजिए।
घड़ीसाज़ी का इम्तहान पास करने से लेखक का क्या तात्पर्य है?
निम्नलिखित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए-
(क) पिय सौं कहेहु सँदेसड़ा, ऐ भँवरा ऐ काग।
(ख) रकत ढरा माँसू गरा, हाड़ भए सब संख।
(ग) तुम्ह बिनु कंता धनि हरुई, तन तिनुवर भा डोल।
(घ) यह तन जारौं छार कै, कहौं कि पवन उड़ाउ।
धर्म अगर कुछ विशेष लोगों वेदशास्त्र, धर्माचार्यों, मठाधीशों, पंडे-पुजारियों की मुट्ठी में है तो आम आदमी और समाज का उससे क्या संबंध होगा? अपनी राय लिखिए।
'हारेंहु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?
साहित्य समाज का दर्पण है' इस प्रचलित धारणा के विरोध में लेखक ने क्या तर्क दिए हैं?
'रहि चकि चित्रलिखी सी' पंक्ति का मर्म अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
'धर्म का रहस्य जानना वेदशास्त्रज्ञ धर्माचार्यों का ही काम है।' आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? धर्म संबंधी अपने विचार व्यक्त कीजिए।
'नाम' क्यों बड़ा है? लेखक के विचार अपने शब्दों में लिखिए।