Chapter 5 Vishnu Khare

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Exercise 1 ( Page No. : 33 )

Exercise 2 ( Page No. : 34 )

  • Q1 सत्य क्या पुकारने से मिल सकता है? युधिष्ठिर विदुर को क्यों पुकार रहे हैं- महाभारत के प्रसंग से सत्य के अर्थ खोलें।
    Ans:

    सत्य यदि पुकारने से मिल जाता था आज असत्य का बोलबाला नही होता था सत्य पुकारने से नही अपितु सत्य का आचरण करने है उसके लिए लोगो को कठिन सघर्ष से गुजरना पड़ता था जेसे धर्मराज युधिष्ठिर ने किया है उन्होंने सारा जीवन सत्य का आचरण किया था तथा सत्य को अपना धर्म समझा था यही कारण है कि वह धर्मराज कहलाये थे वे विदुर के मुख से सत्य के विषय में सुनना चाहते है परन्तु विदुर उन्हें यह बताने से भाग रहे है I विदुर जानते है कि सत्य का मार्ग बड़ा ही कठिन था वे स्वय को सतुलित रखते थे इस मार्ग में बढ़ रहे है I


    Q2 सत्य का दिखना और ओझल होना से कवि का क्या तात्पर्य है?
    Ans:

    सत्य स्वय में एक प्रबल शक्ति थी उसे दिखने से कोई नही रोक सकते थे परन्तु यदि परिस्थतिया इसके विरोध में आ जाते थे तो वह शीघ्रता से ओझल हो जाती थी सत्य को हर समय अपने सम्मुख रखना सभव नही था क्योकि यह कोई वस्तु नही थी यही कारण था कि यह स्थिर नही रहता था और यही सबसे बड़े दुःख की बात भी थी I


    Q3 सत्य और संकल्प के अंतर्संबंध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
    Ans:

    सत्य और सकल्प में भक्त और भगवान के समान सबध था जेसे भक्त के बिना भगवान और भगवान के बिना भक्त का कोई अस्तित्व नही था वेसे ही सत्य के मार्ग बढ़ते हुए यदि मनुष्य में सकल्प शक्ति की कमी थी तो सत्य तुरंत डीएम तोड़ देता था सत्य का मार्ग बहुत कठिन और सघर्ष युक्त था I


    Q4 युधिष्ठिर जैसा संकल्प' से क्या अभिप्राय है?
    Ans:

    युधिष्ठिर जेसा सकल्प से तात्पर्य था सत्य के मार्ग पर अडिग होकर चलने की शक्ति थी युधिष्ठिर ने अपने जीवन में सत्य का मार्ग चुना है इसके लिए उन्होंने विदुर तक को अपने सम्मुख झुकने पर विवश कर दिया है वे उम्रभर इस मार्ग पर ही नही चले थे बल्कि उन्होंने इसे अपने आचरण में आत्मसात किया था I


    Q5 सत्य की पहचान हम कैसे करें? कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
    Ans:

    कविता के अनुसार सत्य हमारे अतकरण में विधमान होता था उसे खोजने के लिए हमे अपने भीतर झाकना आवश्यक था सत्य के प्रति हमारे मन में सशय उत्पन्न हो सकता था परन्तु यह सशय हमारे भीतर प्याप्त सत्य को धूमिल नही कर पाता था सत्य का स्वभाव स्थिर नही था उसे हमारे द्वारा स्थिरता प्रदान की जाती थी


    Q6 कविता में बार-बार प्रयुक्त 'हम' कौन है और उसकी चिंता क्या है?
    Ans:

    कविता में हम शब्द ऐसे लोगो का सूचक था जो सारी उम्र सत्य की खोज के लिए मारे मारे फिरते थे वे सत्य को पहचानना तथा जानना चाहते थे उनकी मुख्य चिंता यह थी कि वह सत्य का स्थिर रूप रंग और पहचान नही खोज पा रहे थे यदि वे इन्हें खोज लेते थे वह सत्य को स्थायित्व प्रदान कर सकता था I


    Q7 सत्य की राह पर चल। अगर अपना भला चाहता है तो सच्चाई को पकड़।– इन पंक्तियों के प्रकाश में कविता का मर्म खोलिए।
    Ans:

    आज का युग अधर्म और अनेतिकता के ताने बाने में उलझकर रह गया था लोग पूर्णता सत्य का आचरण नही करते थे असत्य का साम्रज्य चारो और फेल रहा था कवि असत्य की विजय देखकर दुखी था यह मानवता की हत्या थी यही कविता का मर्म था कवि के अनुसार मानवता की भलाई इसी में ही कि वह सत्य के मार्ग पर चलते थे I


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