Question 3

काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे
मदिर ऊँघते रहते सब-जगकर रजनी भर तारा।

Answer

प्रस्तुत काव्याश में उषा का मानवीकरण कर उसे पानी भरने वाली स्त्री के रूप में चित्रित किया गया था इन पक्तियों में भोर का सोंदर्य सवर्त दिखाई देता था तारे ऊघने लगते थे भाव यह था कि चारो तरफ भोर हो चुका था और सूर्य की सुनहरी किरणे लोगो को उठा रही थी I

(1) उषा तथा तारे का मानवीकरण करने के कारण मानवीय अलकार था I
(2) काव्याश में गेयता का गुण विधमान था I
(3) जब जगकर में अनुप्रास अलकार था I
(4) हेम कुभ में रूपक अलकार था I

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