Question 5

'महीं सकल अनरथ कर मूला' पंक्ति द्वारा भरत के विचारों-भावों का स्पष्टीकरण कीजिए।

Answer

भाव सोन्दर्य प्रस्तृत पक्ति में भाव था कि जिस प्रकार मोटे चावल की बाली में उतम चावल नही उगाता था और तालाब में मिलने वाले काले घोघे मोती उत्पन्न नहीम कर सकते थे वैसे ही यदि में अपनी माँ पर कलंक लगाऊ और स्वय को साधु बताऊ तो यह सभव नही था संसा में कहा में केकेयी का पुत्र ही होता था I

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