निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) बहुत दिनान को अवधि आसपास परे/खरे अरबरनि भरे हैं उठि जान को
(ख) मौन हू सौं देखिहौं कितेक पन पालिहौ जू/कूकभरी मूकता बुलाय आप बोलिहै।
(ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे।
(घ) सो घनआनंद जान अजान लौं टूक कियौ पर वाँचि न देख्यौ।
(ङ) तब हार पहार से लागत हे, अब बीच में आन पहार परे।
(क) बहुत दिनान को अवधि आसपास परे खरे अरबरनि भरे है उठि जान को प्रस्तुत पक्ति का आशय था कि तुम्हारे इंतजार में बहुत दिन का समय इसी आस में व्यतीत हो गया था कि तुम आ सकती थी मेरे प्राण अब तो निकल जाने को व्यग्र था अर्थात निकलने वाले थे भाव यह था कि कवि इस आस में है उसकी प्रेमिका अवश्य आएगी परन्तु वह नही आती थी I
(ख) मोन हू सों देखिहो कितेक पन पालिहो जू कूकभरी मुकता बुलाय आप बोलिहे – कवि कहते थे कि वह चुप था और देखना चाहता था कि कब तक उसकी प्रेमिका अपने प्रण का पालन करती थी कवि कहते थे कि मेरी कूकभरी चुप्पी तुम्हे बोलने पर विवश कर देती थी I
(ग) तब तो छबि पीवत जीवत है अब सोचन लोचन जात जरे प्रस्तुत पक्ति का आशय था कि सयोगावस्था में होने के कारण प्रेयसी कवि के पास ही है अत उसे देखकर आनद से भर जाता है यह उसके जीने का कारण भी है परन्तु अब वियोग की अवस्था थी I
(घ) सो घनआनंद जान अजान लो टूक कियो पर वाचि न देख्यो – प्रस्तुत पक्ति का आशय था कि घनानंद ने अपने ह्रदय का दुःख एक पत्र में लिखा है और सुजान के पास भेजा है सुजान ने सब जानते हुए भी उस पत्र को बिना पढ़े ही टुकडो टुकडो में फाड़ दिया था उसके इस तरह के व्यवहार ने कवि के ह्रदय को आहत किया था I
(ड) तब हार पहार से लागत है अब बीच में आन पहार परे I – प्रस्तुत पक्ति का आशय था कि जब कवि प्रेयसी के साथ रहता है उसे प्रेमिका के बाहों का हार अपने शारीर पर पहाड़ के समान लगता है परन्तु वह कहता था हम दोनों अलग अलग थे तथा हम दोनों के मध्य में पहाड़ के रूप में वियोग विधमान थे I
'दीप अकेला' के प्रतीकार्थ को स्पष्ट करते हुए बताइए कि उसे कवि ने स्नेह भरा, गर्व भरा एवं मदमाता क्यों कहा है?
"बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं" कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे
मदिर ऊँघते रहते सब-जगकर रजनी भर तारा।
'कुटज' पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि 'दुख और सुख तो मन के विकल्प हैं।'
बालक द्वारा इनाम में लड्डू माँगने पर लेखक ने सुख की साँस क्यों भरी?
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) श्रमित स्वप्न की मधुमाया ......... तान उठाई।
(ख) लौटा लो .......................... लाज गँवाई।
कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है?
सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) झूठी बतियानि की पत्यानि तें उदास है, कै ...... चाहत चलन ये संदेशो लै सुजान को।
(ख) जान घनआनंद यों मोहिं तुम्है पैज परी ....... कबहूँ तौ मेरियै पुकार कान खोलि है।
(ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, .................बिललात महा दुःख दोष भरे।
(घ) ऐसो हियो हित पत्र पवित्र ..... टूक कियौ पर बाँचि न देख्यौ।
निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) 'कभी-कभी जो लोग ऊपर से बेहया दिखते हैं, उनकी जड़ें काफ़ी गहरी पैठी रहती हैं। ये भी पाषाण की छाती फाड़कर न जाने किस अतर गह्वर से अपना भोग्य खींच लाते हैं।'
(ख) 'रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज-सत्य। नाम उस पद को कहते हैं जिस पर समाज की मुहर लगी होती है। आधुनिक शिक्षित लोग जिसे 'सोशल सैक्शन' कहा करते हैं। मेरा मन नाम के लिए व्याकुल है, समाज द्वारा स्वीकृत, इतिहास द्वारा प्रमाणित, समष्टि-मानव की चित्त-गंगा में स्नात!'
(ग) 'रूप की तो बात ही क्या है! बलिहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कुपित यमराज के दारुण निःश्वास के समान धधकती लू में यह हरा भी है और भरा भी है, दुर्जन के चित्त से भी अधिक कठोर पाषाण की कारा में रुद्ध अज्ञात जलस्रोत से बरबस रस खींचकर सरस बना हुआ है।'
(घ) हृदयेनापराजितः! कितना विशाल वह हृदय होगा जो सुख से, दुख से, प्रिय से, अप्रिय से विचलति न होता होगा! कुटज को देखकर रोमांच हो आता है। कहाँ से मिलती है यह अकुतोभया वृत्ति, अपराजित स्वभाव, अविचल जीवन दृष्टि!'
'गीत' और 'मोती' की सार्थकता किससे जुड़ी है?
पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
क्षण के महत्व' को उजागर करते हुए कविता का मूल भाव लिखिए।
गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में काँटे की चुभन का अनुभव क्यों हो रहा था? उससे छुटकारा पाने के लिए उसने क्या उपाय सोचा?
मज़दूरों को चार हाथ देने के लिए मिल मालिक ने क्या किया और उसका क्या परिणाम निकला?
कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है?
हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है?
हाथी ने खेती की रखवाली के लिए क्या घोषणा की?
कुटज क्या केवल जी रहा है- लेखक ने यह प्रश्न उठाकर किन मानवीय कमज़ोरियों पर टिप्पणी की है?
कुटज को 'गाढ़े का साथी' क्यों कहा गया है?