Question 5

ये झूठे बंधन टूटें
तो धरती को हम जानें
यहाँ पर झूठे बंधनों और धरती को जानने से क्या अभिप्राय हैं?

Answer

कवि का निम्नलिखित पक्ति में झूठे बधनो से अभिप्राय था कि झूठे बधन मनुष्य को अपने मार्ग से विचलित करते थे उसकी शक्ति को जकड़ देते थे जेसे धरती में व्याप्त पत्थर तथा चटान उसे बंजर बना देते थे वैसे ही मन में व्याप्त झूठे बधन उसकी सर्जन शक्ति को विकसित नही होने देता था I धरती को जानने से अभिप्राय था कि धरती में इतनी शक्ति होती थी कि वह समस्त संसार का भरण पोषण कर सकता था परन्तु उसमे व्याप्त पत्थर और चटाने उसे बंजर बना देते थे I

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