'दीप अकेला' के प्रतीकार्थ को स्पष्ट करते हुए बताइए कि उसे कवि ने स्नेह भरा, गर्व भरा एवं मदमाता क्यों कहा है?
इस कविता में दीप को अकेला बताया गया था हर मनुष्य भी संसार में अकेला आता था पक्ति का अर्थ समाज से लिया जाता था पक्ति में दीप को लाकर रख देना का तात्पर्य था कि उसे समाज का एक भाग बना देना था जो स्नेह के कारण जीवित रहता था दीप संसार को प्रकाशित करता था उसकी लो झुकती नही थी जो उसके गर्व का सूचक था I
'सागर' और 'बूँद' से कवि का क्या आशय है?
यह अद्वितीय-यह मेरा-यह मैं स्वयं विसर्जित'- पंक्ति के आधार पर व्यष्टि के समष्टि में विसर्जन की उपयोगिता बताइए।
क्षण के महत्व' को उजागर करते हुए कविता का मूल भाव लिखिए।
भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) 'यह प्रकृत, स्वयंभू ............. शक्ति को दे दो।'
(ख) 'यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक .............. चिर-अखंड अपनापा।'
(ग) 'जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय, इसको भक्ति को दे दो।'
'सूने विराट के सम्मुख...............दाग से!'- पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
यह दीप अकेला है 'पर इसको भी पंक्ति को दे दो' के आधार पर व्यष्टि का समिष्ट में विलय क्यों और कैसे संभव है?
'गीत' और 'मोती' की सार्थकता किससे जुड़ी है?
'रंग गई क्षणभर, ढलते सूरज की आग से'- पंक्ति के आधार पर बूँद के क्षणभर रंगने की सार्थकता बताइए।
'यह दीप अकेला' एक प्रयोगवादी कविता है। इस कविता के आधार पर 'लघु मानव' के अस्तित्व और महत्व पर प्रकाश डालिए।
'यह मधु है ............ तकता निर्भय'- पंक्तियों के आधार पर बताइए कि 'मधु', 'गोरस' और 'अंकुर' की क्या विशेषता है?
'हारेंहु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?
अगहन मास की विशेषता बताते हुए विरहिणी (नागमती) की व्यथा-कथा का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
प्रियतमा के दुख के क्या कारण हैं?
देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता?
कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो ले सुजान को' क्यों कहा है?
लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
पसोवा की प्रसिद्धि का क्या कारण था और लेखक वहाँ क्यों जाना चाहता था?
संवदिया कि क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा हैं?
लेखक ने कवि की तुलना प्रजापति से क्यों की है?
सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
'प्रकृति मनुष्य की सहचरी है' इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुए आज के संदर्भ में इस कथन की वास्तविकता पर प्रकाश डालिए।
"मैंने निज दुर्बल..... होड़ लगाई" इन पंक्तियों में 'दुर्बल पद बल' और 'हारी होड़' में निहित व्यंजना स्पष्ट कीजिए।
लेखक का गाँधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा?
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए–
'तिरपित, छन, बिदगध, निहारल, पिरित, साओन, अपजस, छिन, तोहारा, कातिक
काबुली-कायदा .......................................................................................................
रोम-रोम कलपने लगा ..............................................................................................
अगहनी धान ...........................................................................................................
बालक ने क्यों कहा कि मैं यावज्जन्म लोकसेवा करूँगा?
प्रियतमा के दुख के क्या कारण हैं?
(क) 'तुझे तो तैरना भी न आवे। कहीं पैर फिसल जाता तो मैं तेरी माँ को कौन मुँह दिखाती।'
(ख) 'उसके चेहरे पर इतना विभोर विनीत भाव था मानो उसने अपना सारा अहम् त्याग दिया है, उसके अंदर स्व से जनति कोई-कुंठा शेष नहीं है, वह शुद्ध रूप से चेतन स्वरूप, आत्माराम और निर्मलानंद है।'
(ग) 'एकदम अंदर के प्रकोष्ठ में चामुंडा रूप धरिणी मंसादेवी स्थापित थी। व्यापार यहाँ भी था।
अराफात ने ऐसा क्यों बोला की ‘वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता हैं उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए।’ इस कथन के आधार पर गाँधी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
Boarded exam ki taiyari..