Question 3

यह फूस की राख न थी उसकी अभिलाषाओं की राख थी।संदर्भ सहहत विवेचना कीजिए।  

Answer

सूरदास एक अँधा भिखारी है उसकी सपति में एक झोपड़ी जमीन का छोटा सा टुकड़ा और जीवनभर जमा की गई पूँजी है यही सब उसके जीवन के आधार है जीवन उसके किसी काम की नही है उस पर सारे गाँव के जानवर चरा करते है सूरदास उसी में प्रसन्न है झोपडी जल गई पर वह दोबारा भी बनाई जा सकती है लेकिन उस आग में उसकी जीवनभर की जमापूंजी जलकर राख हो गई है I

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