Question 6

' सूरदास उठ खड़ा हुआ और विजय - गर्व की तरंग में राख के ढेर को दोनों हाथों से उड़ाने लगा । ' इस कथन के संदर्भ में सूरदास की मनोदशा का वर्णन कीजिए ।

Answer

सूरदास अपने रुपए की चोरी की बात से दुखी हो चुका है उसे लगा की उसके जीवन में अब कुछ शेष नही बचा था उसके मन में परेशानी दुःख ग्लानी तथा नेराश्य के भाव उसे नहला रहे है अचानक घीसू द्वारा मिठुआ को यह कहते हुए सुना कि खेल में रोते थे इन कथनों की सूरदास की मनोदशा पर चमत्कारी परिवर्तन कर दिया था दुखी और निराश सूरदास जेसी जी उठा रहे थे उसे अहसास हुआ था कि जीवन सघर्ष का नाम था इसमें हार जीत लगी रहती है इंसान को चोट तथा धक्को से डरना नही था बल्कि जीवन सघर्ष का डटकर सामना करना था I

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